जयपुर। प्रदेश में एक बार फिर से बिजली की दरें बढ़ गई हैं। अब बिजली उपभोक्ताओं से फ्यूल सरचार्ज वसूला जाएगा। ऐसे में अगले तीन महीने तक उपभोक्ताओं को बढ़ा हुआ बिल देना होगा। दरअसल, राज्य सरकार ने तीन महीने के लिए 45 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से फ्यूल सरचार्ज बढ़ाया है।
हर बिजली कंज्यूमर को 100 यूनिट पर अब 45 रुपए एक्स्ट्रा देने होंगे। फ्यूल सरचार्ज का पैसा तीन महीने तक बिल में जुड़कर आएगा। फ्यूल सरचार्ज हर महीने 50 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च करने वालों से ही वसूला जाएगा। हर महीने 50 यूनिट तक बिजली खर्च करने वालों और किसानों के सिंचाई के कनेक्शन पर फ्यूल सरचार्ज नहीं लिया जाएगा।
यह फ्यूल सरचार्ज पिछले साल अप्रैल से लेकर जून में महंगी दरों पर खरीदे गए कोयले की वजह से वसूला जा रहा है। बिजली कंपनियों की तरफ से जारी बयान के मुताबिक पिछले साल छत्तीसगढ़ से कोयला नहीं मिलने पर महानदी कोल माइंस से महंगा कोयला लेना पड़ा। इसके साथ ही भारत सरकार के निर्देशों के हिसाब से 6 फीसदी आयातित कोयला काम में लेना होता है। आयातित कोयला महंगा पड़ता है।
पिछले साल अप्रैल से जून में खर्च की बिजली पर वसूल होगा सरचार्ज
एनर्जी विभाग के प्रमुख सचिव और तीनों डिस्कॉम के चेयरमैन भास्कर ए सांवत का कहना है कि राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमिशन ने पिछले साल अप्रैल से लेकर जून तक के तीन महीनों के लिए 45 पैसे प्रति यूनिट सरचार्ज वसूलने की दर तय की है।
सरचार्ज का पैसा पिछले साल अप्रैल से लेकर जून महीनों में खर्च की गई बिजली पर वसूला जाएगा। एग्रीकल्चर कनेक्शन और हर महीने 50 यूनिट से कम बिजली खर्च करने वाले कंज्यूमर्स के फ्यूल सरचार्ज का पैसा सरकार चुकाएगी।
गौरतलब है कि राजस्थान में जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम के करीब 1.18 करोड़ घरेलू उपभोक्ता हैं, जिसमें तीनों कैटेगरी (BPL, लघु घरेलू और सामान्य घरेलू) शामिल है।
इस बार भी गर्मियों में कोयले की किल्लत के आसार
गर्मियों में हर साल कोयले की सप्लाई कम होती है। बिजली कपंनियों को पावर प्लांट्स के लिए महंगी दरों पर कोयला खरीदना होता है। राजस्थान को छत्तीसगढ़ से कोयला सप्लाई में आगे भी दिक्कत के आसार हैं। सीएम अशोक गहलोत ने दो दिन पहले ही कहा था कि छत्तीसगढ़ से कोयला सप्लाई में दिक्कत आएगी, हम दूसरी व्यवस्था कर रहे हैं।
सीएम के बयान से साफ है कि गर्मियों की सीजन में पावर प्लांट्स को महंगी दरों पर कोयला खरीदना होगा। महंगी दरों पर खरीदे गए कोयले की कीमत का भार आम बिजली कंज्यूमर्स को फिर फ्यूल सरचार्ज के रूप में चुकाना होगा।
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