लोकसभा ने सोमवार को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 (Digital Personal Data Protection Bill 2023) पारित कर दिया है. यह डेटा को संभालने और संसाधित करने वाली संस्थाओं के दायित्वों के साथ-साथ व्यक्तियों के अधिकारों को निर्धारित करता है. बिल में नियमों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं पर अधिकतम 250 करोड़ रुपये और न्यूनतम 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है.
इसके प्रावधान के मुताबिक, अगर किसी कंपनी द्वारा यूजर्स का डाटा लीक किया जाता है और कंपनी द्वारा ये नियम तोड़ा जाता है तो उसपर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। विधेयक में RTI कानून की धारा 8(1)(जे) में संशोधन का प्रस्ताव भी है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि इससे RTI कानून कमजोर होगा।
इसके क्या प्रावधान हैं?
अगर किसी कंपनी द्वारा यूजर्स का डाटा लीक किया जाता है और कंपनी द्वारा ये नियम तोड़ा जाता है तो उसपर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह कानून लागू होने के बाद लोगों को अपने डाटा कलेक्शन, स्टोरेज और उसके प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिल जाएगा।
विवाद की स्थिति को लेकर भी इसमें प्रावधान किया गया है। अगर कोई विवाद होता है तो इस स्थिति में डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड फैसला करेगा। नागरिकों को सिविल कोर्ट में जाकर मुआवजे का दावा करने का अधिकार होगा। ड्राफ्ट में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का डाटा शामिल हैं, जिसे बाद में डिजिटाइज किया गया हो। अगर विदेश से भारतीयों की प्रोफाइलिंग की जा रही है या गुड्स और सर्विस दी जा रही हों तो यह उस पर भी लागू होगा। इस बिल के तहत पर्सनल डाटा तभी प्रोसेस हो सकता है, जब इसके लिए सहमति दी गई हो।
विधेयक में यह भी कहा गया है कि कानूनी या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आवश्यक नहीं होने पर उपयोगकर्ताओं के डाटा को अपने पास बरकरार नहीं रखा जाना चाहिए। नया पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल बायोमेट्रिक डाटा के मालिक को पूर्ण अधिकार भी देता है। यहां तक कि अगर किसी एम्प्लॉयर को अटेंडेंस के लिए किसी कर्मचारी के बायोमेट्रिक डाटा की आवश्यकता होती है, तो उसे स्पष्ट रूप से संबंधित कर्मचारी से सहमति की आवश्यकता होगी।
नए डाटा प्रोटेक्शन बिल से सोशल मीडिया कंपनियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और उनकी मनमानी भी कम होगी। नए डाटा प्रोटेक्शन बिल 2023 के अनुसार, यूजर्स के डिजिटल डाटा का दुरुपयोग करने वाली या उनकी सुरक्षा करने में नाकाम वाली संस्थाओं को 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
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