नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी एवं नईं संसद के उद्घाटन के ऐतिहासिक दिवस पर राजस्थानी मोट्यार परिषद एवं अजंस संस्थान की तरफ से राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता एवं राजभाषा का दर्जा दिलाने के लिए दिल्ली में कईं सांसदों एवं मंत्रियों से मुलाकात की। केन्द्रीय कानून मंत्री एवं वर्तमान राजस्थान विधानसभा चुनाव घोषणा-पत्र कमेटी के चेयरमैन श्री अर्जुनराम जी मेघवाल द्वारा इस प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली बात करने के लिए बुलाया गया था, माननीय मेघवाल साहब ने राजस्थानी प्रतिनिधि-मंडल का स्वागत एवं अभिनन्दन किया एवं राजस्थान में अपने घोषणा-पत्र में राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने एवं राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के मुद्दे को घोषणा पत्र में रखा जाएगा साथ ही राजस्थानी भाषा को प्रदेश की राजभाषा बनाने एवं संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए यह विश्वास दिलाया कि मैं इस हेतु लगातार पुरा प्रयास कर रहा हूं विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा की सरकार आते ही राजस्थानी भाषा को सर्वप्रथम राजस्थान की राजभाषा का दर्जा दिया जाएगा।
इसके साथ ही मोटयार परिषद बीकानेर के सदस्य हिमांशु टाक ने बताया कि राजस्थानी भाषा आन्दोलन के किए राजस्थानी मोट्यार परिषद एवं अंजस संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों की मेघवाल साहब ने खुब प्रशंसा की।
मोट्यार परिषद के रामोवतार शर्मा ने बताया कि इसी कड़ी में हमारा प्रतिनिधि-मंडल केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री माननीय गजेन्द्र सिंह जी शेखावत साहब से भी उनके आवास पर विशेष रूप से मुलाकात की तो शेखावत जी खुब प्रसन्न हुए एवं कहा कि राजस्थानी भाषा तो हमारे रगो में है इसे जल्द से जल्द मान्यता मिलनी चाहिए इसके लिए मैं और मेरी सरकार पूर्णतः गंभीर है। शेखावत साहब ने हमें बताया कि जब आप लोगों का जन्म ही नहीं हुआ तब से मैं स्वंय अपनी मातृभाषा राजस्थानी मान्यता आन्दोलन से जुड़ा हूं,अब जल्द ही आपको राजस्थानी भाषा के लिए अच्छी खबर मिलेगी।
राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु इस दिल्ली यात्रा प्रतिनिधि-मंडल में राजस्थानी मोट्यार परिषद की तरफ से राजेश चौधरी, एडवोकेट हिमांशु टाक, रामावतार उपाध्याय, प्रशान्त जैन, एडवोकेट राजेश कड़वासरा, कमल किशोर मारू एवं अजंस संस्थान की तरफ से रूणेचा राम एवं राजदीप इंदा शामिल थे।
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