बीकानेर, 27.09.2023। सम्पूर्ण राजस्थान प्रदेश में NPA की मांग को लेकर पशुचिकित्सको का धरना अब आमरण अनशन में तब्दील हो चुका हैं। यह प्रदेश स्तर के कार्यक्रम वेटरनरी डॉक्टर्स एसोसिएशन एवं राजस्थान पशु चिकित्सक संघ के नेतृत्व में हर जिले में पशु चिकित्सक आमरण अनशन में बैठ रहे हैँ। इसी क्रम में बीकानेर जिले से डॉ. सुभाष घारू व डॉ. ओ. पी. पडिहार, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग परिसर में आमरण अनशन पर बैठ चुके हैँ । राजस्थान पशु चिकित्सक संघ के महासचिव डॉ. बॉयल ने बताया कि राजस्थान की जीडीपी में पशुपालन का 12% योगदान है उसमें पशु चिकित्सक की महत्वपूर्ण भूमिका है। डॉ. कमल व्यास ने बताया कि देश लगभग सत्रह (17) राज्यो में NPA दिया जा रहा है और हम पशुचिकित्सकों की वजह से दूध और ऊन में राजस्थान प्रथम स्थान है। तथा गोपालन विभाग, पशुपालन विभाग से भिन्न होने के पश्चात् भी पशुचिकित्सकों द्वारा गोपालन विभाग की सभी गौशालाओं में टीकाकरण, नियमित उपचार, नियमित सर्वे का कार्य किया जाता हैं जिससे कि गौशालाओं के पशुओं को चारे के लिये नियमित अनुदान प्राप्त हो सके हैँ। आलम यह हैं कि राज्य में पशुओं कि संख्या के अनुरूप पशुचिकित्सकों की संख्या भी नहीं हैं। इसके अतिरिक्त मौसमी बिमारियों में भी घर-घर, खेत-खेत विभिन्न पशुओं का टीकाकरण कार्य, कृत्रिम गर्भादान का कार्य, इमरजेंसी दुर्घटना के मामले, पोस्टमार्टम, विभागीय व प्रशासनिक केम्प इत्यादि भी पशुचिकित्सकों द्वारा सम्पादित किये जाते हैं। गनीमत यह हैं कि बहुत से पशुचिकित्सालयों में पशुचिकित्सक के पास स्टाफ व साधन संसाधन भी नहीं हैं। और पशुचिकित्सक विषम परिस्थितियां में भी अपना शत प्रतिशत कार्य सम्पादित करता हैं। लम्पी जैसी महामारी में भी इन पशुचिकित्सकों ने अपनी जी जान लगाकर पुरे प्रदेश भर कार्य किया और प्रदेश को लम्पी मुक्त किया। ये विषम परिस्थितियां पिछले दो दशक से हैं जिसकी मांग भी सरकारों को रही हैं। इतना कार्य करने कारण पशुचिकित्सक प्रैक्टिस नहीं कर पाता हैं तथा अपने साधन संसाधनों से यह विभाग के सम्पूर्ण कार्य करते हैँ। अतः लम्बे समय की यह मांग NPA (नॉन प्रैक्टिस अलॉउंस) के रूप में रही हैं 1 दिसंबर 2022 से 40 दिन का धरना, क्रमिक अनशन व आमरण अनशन भी किया जिसे पशुपालन मंत्री ने ज्यूस पिलाकर तुड़वाया और मांग को जायज़ ठहराया और कामधेनु योजना लॉन्च होने पर इसे देने का वादा भी किया तथा 06 सितंबर 2023 को कामधेनु बीमा लॉन्च के समय NPA की मांग को ठुकरा दिया इसी क्रम में 16 सित. को एक एक दिवसीय धरना व 18 सित. से कार्यबहिष्कार का नेतृत्व द्वारा निर्णय किया गया व 21 सितंबर को प्रदेश स्तर का एक दिवसीय धरना दिया गया आज लगातार इतने दिनों तक कार्यबहिष्कार व धरने के पश्चात् भी सरकार चेत नहीं रही हैं अतः दोनों संघो ने यह निर्णय किया हैं कि अब हड़ताल को युद्धस्तर का रूप दिया जायेगा जिसके क्रम में हर जिले पर आमरण अनशन का निर्णय लिया ताकि सरकार संवेदनशील होकर हमारी मॉग तत्काल पुरी करे डॉ. कुलदीप चौधरी ने कहा कि हमारी एकमात्र मांग NPA हैं जो यदि नहीं मानी जाएगी तो यह अनशन लगातार चलता रहेगा।
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