बीकानेर: बदलते माैसम और हाेली के त्याेहार काे पर पीबीएम डाॅक्टराें ने जारी की एडवाइजरी, जान ले क्यों मास्क लगाने की दी हिदायत
पीबीएम हाॅस्पिटल श्वसन संबंधी बीमारियाें के राेगी इन दिनाें बढ़ गए हैं। बदलते माैसम और हाेली के त्याेहार काे देखते हुए डाॅक्टराें ने एडवाइजरी जारी की है।
पीबीएम हाेस्पिटल के श्वसन राेग विभाग के आउटडाेर में इन दिनाें राेज 600 राेगी श्वास राेग से पीड़ित हाेकर पहुंच रहे हैं। इनमें ज्यादातर अस्थमा सीओपीडी के शिकार हैं। मेडिकल काॅलेज प्रिंसिपल एवं श्वसन राेग विभाग के एचओडी डाॅ. गुंजन साेनी का कहना है कि इस माैसम में श्वास की बीमारियाें के राेगी बढ़ जाते हैं।
पेड़-पाैधाें पर नए फूल-पत्तियां आती हैं, जिनसे निकलने वाले पराग के कण एलर्जी और अस्थमा का बढ़ावा देते हैं। ऐसे राेगियाें काे दवाओं के अलावा सुबह जल्दी घर से बाहर नहीं निकलने और मास्क लगाने की हिदायत दी जा ही है। हाेली में रंगाें से दूर रहने काे कहा जा रहा है।
इसी प्रकार चर्म राेग विभाग में भी रंगाें के कारण त्वचा खराब हाेने के राेगी पहुुंचने लगे हैं। पीबीएम हाॅस्पिटल में चर्म राेग विशेषज्ञ डाॅ. आरडी मेहता ने बताया कि काेडिए रंग के कारण आंख और नाक की श्लेष्मा झिल्ली बुरी तरह प्रभावित हाेती है। खराब रंग के कारण त्वचा काे नुकसान पहुंचता है।
जलन हाेने लगती है। दाने निकल आते हैं। असहनीय खुजली हाेती है। डाॅ. मेहता का कहना है कि प्राकृतिक रंगाें का ही प्रयाेग करना चाहिए। हाेली भाई चारे और प्रेम का त्याेहार है। तिलक हाेली सबसे उत्तम है।
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