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क्या कोवीशील्ड वैक्सीन से हो रहा हार्ट अटैक! कंपनी ने माना- खून का थक्का जम सकता है, 7 सवालों में जानिए पूरा मामला

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क्या कोवीशील्ड वैक्सीन से हो रहा हार्ट अटैक! कंपनी ने माना- खून का थक्का जम सकता है, 7 सवालों में जानिए पूरा मामला

लेखक: शिवेंद्र गौरव

जब कोविड की वैक्सीन कोवीशील्ड यूके में लॉन्च हुई तब ब्रिटेन के तब के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसे ‘ब्रिटिश विज्ञान की जीत’ बताया था। भारत में भी सबसे पहले और सबसे ज्यादा इसी कोवीशील्ड की 175 करोड़ डोज अब तक लगाई जा चुकी हैं।


इस वैक्सीन को लेकर अब बड़ा खुलासा हुआ है। कोवीशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने यूके के कोर्ट में दिए गए बयान में माना है कि इस वैक्सीन से शरीर के किसी हिस्से में खून जमाने वाला 'रेयर साइड इफेक्ट' हो सकता है।

इस खबर के सामने आते ही दुनियाभर में कोवीशील्ड वैक्सीन की डोज लेने वालों के बीच इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि क्या वाकई इस वैक्सीन की वजह से उनके शरीर में भी खून का थक्का जम सकता है? 
ऐसे ही 7 सवालों के जरिए इस पूरे मामले को समझते हैं….

सवाल 1: कोवीशील्ड से जुड़े किस मामले में यूके के कोर्ट में सुनवाई हुई?
जवाब: साल 2023 की बात है। कोवीशील्ड बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका के खिलाफ यूके के रहने वाले जेमी स्कॉट की पत्नी ने पहला केस दर्ज करवाया था। उनका आरोप था कि 23 अप्रैल 2021 को जेमी को कोवीशील्ड की डोज दी गई। उसके बाद उन्हें वैक्सीन इंड्यूस्ड थ्रोम्बोसाइटोपेनिया यानी VITT नाम की बीमारी हो गई। उनके दिमाग में ब्लीडिंग हुई, खून का थक्का जमा और ब्रेन स्थायी रूप से डैमेज हो गया। वैक्सीन लेने के बाद दो बच्चों के पिता जेमी दोबारा कभी काम पर नहीं लौट सके।

तब एस्ट्राजेनेका कंपनी ने वैक्सीन के इस्तेमाल से VITT बीमारी होने के इस दावे को सख्ती से नकार दिया था। हालांकि जेमी के वकीलों का कहना था कि ‘एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन डिफेक्टिव है और इसके प्रभाव को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है।'

जेमी की पत्नी केट कहती हैं, 'हेल्थ एक्सपर्ट्स ने काफी पहले ये मान लिया था कि VITT की बीमारी वैक्सीन के चलते होती है, लेकिन एस्ट्राजेनेका को ये मानने में तीन साल लग गए। हमें हमारे परिवार और दूसरे प्रभावित हुए परिवारों के लिए माफी और उचित मुआवजे की जरूरत है। सच हमारे साथ है और हम हार नहीं मानेंगे।'

मार्च 2023 में एस्ट्राजेनेका ने जेमी के वकीलों को भेजे एक जवाबी पत्र में कहा, 'हम नहीं मानते हैं कि सामान्य तौर पर TTS किसी वैक्सीन के कारण होता है', लेकिन फरवरी 2024 में यूके की एक अदालत में जमा किए दस्तावेजों में पहली बार एस्ट्राजेनेका ने कहा, 'कोवीशील्ड बहुत ही कम यानी रेयर केस में, TTS का कारण बन सकती है।'

एस्ट्राजेनेका के इस बयान के बाद से ही कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट की चर्चा शुरू हो गई है।

सवाल 2: कोवीशील्ड वैक्सीन से होने वाली समस्या TTS और VITT क्या है?
जवाब: महामारी विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया के मुताबिक जब शरीर के किसी हिस्से में खून का थक्का जमता है तो उसे थ्रोम्बोसिस सिंड्रोम यानी TTS कहते हैं। कोरोना वैक्सीन से पहले भी ये समस्या सामने आती रही है। जब कोई वैक्सीन लगने की वजह से थ्रोम्बोसिस सिंड्रोम की समस्या हो जाए तो उसे वैक्सीन इंड्यूस्ड थ्रोम्बोसाइटोपेनिया यानी VITT कहते हैं।

कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड की वजह से कई लोगों में यह साइड इफेक्ट देखने को मिला है। हालांकि रेयर यानी कम लोगों में ही इस तरह के साइड इफेक्ट दिखे हैं। इसकी वजह से अचानक से शरीर में प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो जाती है, जो शरीर में खून को जमने से रोकता है। ऐसा होने पर मरीज को ब्रेन स्ट्रोक या हार्ट अटैक हो सकता है। इसीलिए TTS इंसान के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।

सवाल 3: क्या TTS, कोवीशील्ड नहीं लेने वालों को भी हो सकता है?
जवाब: हां, TTS किसी भी वैक्सीन के बिना भी हो सकता है। TTS होने की असली वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है। एक्सपर्ट्स किसी मरीज को TTS होने की वजह का पता उसकी जांच रिपोर्ट्स को देखकर ही लगा पाते हैं।

सवाल 4: क्या कोरोना महामारी के बाद ये पहला मौका है, जब कोवीशील्ड पर इस तरह के आरोप लगे हैं?
जवाब: नहीं, वैज्ञानिकों ने मार्च 2021 में पहली डोज दिए जाने की शुरुआत में ही वैक्सीन इंड्यूस्ड थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (VITT) और थ्रोम्बोसिस की संभावना जताई थी।

जेमी के वकीलों का कहना है कि VITT, TTS का ही एक सबसेट है, लेकिन एस्ट्राजेनेका इस शब्द यानी VITT को मान्यता नहीं देती है। इस मामले से जुड़ी लॉ फर्म ‘ली डे’ की सारा मूर का कहना है कि एस्ट्राजेनेका को ये मानने में एक साल लग गया कि उसकी वैक्सीन खतरनाक खून के थक्कों की वजह बन सकती है, जबकि ये तथ्य मेडिकल कम्युनिटी ने 2021 के आखिर में ही स्वीकार कर लिया था।

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि एस्ट्राजेनेका कंपनी और सरकार वैक्सीन के विनाशकारी प्रभाव को गंभीरता से लेने के बजाय रणनीतिक खेल खेलने और कानूनी फीस बढ़ाने में ज्यादा उत्सुक हैं।

सवाल 5: क्या कोवीशील्ड लेने वाले सभी लोगों को इससे परेशान होने की जरूरत है?
जवाब: लहरिया बताते हैं कि कोवीशील्ड वैक्सीन जिन लोगों को लगी है, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। कोवीशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले यूरोप के सिर्फ कुछ लोगों में इस तरह के मामले सामने आए थे, लेकिन भारत या एशिया में अब तक ऐसे मामले नहीं मिले हैं।

कई बार किसी वैक्सीन या बायोलॉजिकल पदार्थ का असर इथनेसिटी (किसी एक इलाके या समुदाय के लोगों पर) पर निर्भर करता है। इसलिए संभव है कि यूरोपीय लोगों पर इसका असर दिखा हो, लेकिन भारत या एशिया में नहीं दिखा है।

सवाल 6: कोवीशील्ड में किस चीज की मौजूदगी से TTS होने की संभावना होती है?
जवाब: किसी वैक्सीन में 2000 से ज्यादा इंग्रेडिएंट्स होते हैं। इनमें से किसी भी इंग्रेडिएंट की वजह से TTS हो सकता है। चंद्रकांत बताते हैं कि यह कह पाना मुश्किल है कि ये वायरस में मौजूद किस पदार्थ से होता है। इस वैक्सीन में शामिल एडिनो वायरस एक खास तरह का कंपोनेंट है। यह कहा जा रहा है कि इसकी वजह से ही TTS हो रहा है। हालांकि अभी यह कंफर्म नहीं है। इस वैक्सीन को लेने वाले कुछ लोगों में ही ये समस्या देखने को मिल रही है।

सवाल 7: कोवीशील्ड के बचाव में एस्ट्राजेनेका और यूके की सरकार ने क्या कहा है?
जवाब: एस्ट्राजेनेका का कहना है, 'उन लोगों के प्रति हमारी सहानुभूति है जिन्होंने अपने करीबी लोगों को खोया है। मरीजों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। वैक्सीनेशन से जुड़े अधिकारियों के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं।'

कंपनी ने आगे कहा कि क्लिनिकल ट्रायल और आंकड़ों के आधार पर हमारी वैक्सीन सुरक्षित है। दुनिया भर में इस पर रिसर्च करने वाली संस्थाएं लगातार कहती रहती हैं कि वैक्सीन के फायदे उसकी वजह से होने वाले रेयर खतरे से कहीं ज्यादा हैं।

एस्ट्राजेनेका का इशारा इस बात की तरफ है कि यूके के ड्रग्स रेगुलेशन अथॉरिटी की मंजूरी के बाद ही ये वैक्सीन लोगों को दी जा रही है। यूके के दवा नियामकों की मंजूरी के साथ वैक्सीन की प्रोडक्ट इनफार्मेशन में अप्रैल 2021 में यह अपडेट किया गया था कि 'संभावना है कि वैक्सीन बहुत ही दुर्लभ मामलों में TTS को ट्रिगर कर (बीमारी को जन्म दे सकती है) सकती है।

रिसर्च ये भी कहती हैं कि कोवीशील्ड, महामारी से निपटने में प्रभावी रही है और वैक्सीनेशन के पहले ही साल में इससे 60 लाख लोगों की जान बची है।

एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड वैक्सीन को AZD1222 के नाम से भी जाना जाता है। ये वैक्सीन लगने के बाद इंसान के प्रतिरोधी तंत्र को कोविड के वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने और शरीर की टी-कोशिकाओं को सक्रिय करने का काम करती है। इसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश-स्वीडिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर डेवलप किया है।

जनवरी 2021 में पुणे स्थित फार्मा कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोवीशील्ड बनाने के लिए स्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ डील की थी। मंजूरी मिलने के बाद से अब तक भारत में कोवीशील्ड की 175 करोड़ से ज्यादा डोज दी जा चुकी हैं।

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