बीकानेर: आइसीयू में भर्ती महिला कर्मी को दो दिन में मिला वीआरएस, अगले दिन मौत...बेटा बोला- ये षड्यंत्र है।
बीकानेर। राजस्व तहसीलदार कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कैंसर पीड़ित महिला सीरियस होने पर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हुई। उसी दिन महिला का साइन किया आवेदन तहसीलदार के पास पहुंचा और दो दिन बाद ही उसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई। अगले दिन महिला की मृत्यु हो गई। 12 दिन की रस्म अदायगी के बाद परिवार के लोग तहसील कार्यालय पहुंचे तो उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का पता चला। परिजनों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने को षड्यंत्र बताया है।
राजस्व तहसीलदार कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी इन्द्रा कॉलोनी निवासी मोहन कंवर असाध्य रोग से पीड़ित थी। तबीयत बिगड़ने पर उसे एमएन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। सीरियस होने पर महिला को 26 मार्च को आईसीयू में रखा गया और इलाज के दौरान 29 मार्च को उसकी मृत्यु हो गई। इस बीच तहसीलदार कार्यालय में 26 मार्च को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन पहुंचा और आनन-फानन में दो दिन बाद 28 मार्च को ही मोहन कंवर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई।
परिवार के लोग जैसलमेर में अपने गांव गए हुए थे और 15 दिन रस्म की अदायगी के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए तहसील कार्यालय पहुंचे तो उन्हें मोहन कंवर की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बारे में बताया गया। मोहन कंवर के पुत्र विक्रमसिंह सोढ़ा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को अवैध और साजिशपूर्ण बताया। अधिकारियों का कहना है कि आवेदन मिलने पर फोन से बात कर सेवानिवृत्ति दी गई है।
बेटा बोला- हस्ताक्षर फर्जी, बिना जांच कराए दो दिन में कैसे दी सेवानिवृत्ति
स्व. महिला कर्मचारी मोहनकंवर के पुत्र विक्रमसिंह सोढ़ा का कहना है कि 26 मार्च को अस्पताल में भर्ती मां सीरियस थी। ऐसे में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए कार्यालय में आवेदन देना संभव ही नहीं था। अगर किसी ओर ने आवेदन दिया है तो सेवानिवृत्ति से पहले मां के हस्ताक्षर और सत्यता की जांच क्यों नहीं कराई गई।
विभाग ने आवेदन मिलते ही दो दिन में ही 28 मार्च को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आदेश जारी कर दिए, ऐसी क्या जल्दी थी। घरवालों को बताया तक नहीं। मां की सेवानिवृत्ति के आदेश के पीछे साजिश है। कलेक्टर से मिलकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने और अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की गई है।
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