बीकानेर@ अखंड सुहाग की कामना को लेकर महिलाएं कजली तीज (बड़ी तीज) का पर्व मनाती है। इस दिन व्रत-उपासना कर शाम को कजली माता का पूजन व चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारणा करती है। इस बार बड़ी तीज व्रत-पर्व मनाने की तिथि में चल रही असमंजसता के निवारण को लेकर शनिवार को ज्योतिषाचार्यों, पंचांगर्ताओं और पंडितों के मध्य शास्त्र सम्मत मंथन हुआ। नत्थूसर गेट के बाहर स्थित नानगाणी ओझा बगीची स्थित गज गंगेश्वर महादेव मंदिर परिसर में हुई चर्चा में बड़ी तीज पर्व 22 अगस्त को मनाने को शास्त्र सम्मत बताया गया। पंडित प्रहलाद ओझा भैंरु के अनुसार चर्चा में कजली तीज व्रत कब और क्यो मनाए इस पर शास्त्रीय प्रमाण के साथ पंडितों, ज्योतिषाचार्यों और पंचांगकर्ताओं ने विचार रखे।
चतुर्थीयुक्त व्रत शास्त्र सम्मत
वासुदेव कृष्ण धर्मसागर पंचांग के गणितकर्ता पंडित अशोक कुमार ओझा के अनुसार कजली तीज का व्रत चतुर्थीयुक्त करना ही शास्त्र सम्मत है। द्वितीयायुक्त तिथि को व्रत करना शुभदायक नहीं है। गणेश पंचांगकर्ता पंडित राजेन्द्र किराडू ने बताया कि द्वितीयायुक्त तिथि में व्रत करना निषेध बताया गया है। डॉ. गोपाल भादाणी ज्योतिषाचार्य ने कहा कि चतुर्थीयुक्त तिथि में व्रत करने से पुत्र पौत्रादि की प्राप्ति होती है।
चर्चा में ये हुए शामिल
शास्त्र सम्मत चर्चा में पंडित जुगल किशोर ओझा, अशोक कुमार ओझा, राजेन्द्र किराडू, उत्तम पारीक, आशीष भादाणी, गोपाल भादाणी, प्रहलाद ओझा, सुशील किराडू, अशोक किराडू, गोपाल दास ओझा, शांति प्रसाद बिस्सा, विजय कुमार ओझा, ललित ओझा, वीरेन्द्र ओझा,नमामी शंकर ओझा, कृष्ण कांत ओझा, विनोद ओझा, विद्यासागर ओझा, मोहन ओझा, अनिल ओझा, बांके बिहारी, लौकेश, यज्ञेश, अमित सागर, विमल, योगेश शास्त्री सहित अनेक पंडित, ज्योतिषाचार्य व गणितकर्ता आदि शामिल हुए।
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