बीकानेर: जिसका डेथ सर्टिफिकेट बना रहे थे वो जिंदा निकला, पीबीएम प्रशासन पूरी तरह असमंजस में
बीकानेर@ प्रदेश में एक व्यक्ति की मौत का अजीब मामला सामने आया है। एक रोगी की हॉस्पिटल में मौत हो गई। उसके नाम से डेथ सर्टिफिकेट बनाने लगे तो सामने एक शख्स आ गया और बोला, जिसका डेथ सर्टिफिकेट बना रहे हो वो मैं हूं और मैं जिंदा हूं। अब हॉस्पिटल प्रशासन असमंजस में पड़ गया। पुलिस में रिपोर्ट करवाई गई है ताकि यह पता लगाया जा सका कि जिसकी मौत हुई वह कौन है, और यह सारा मामला कैसे हुआ।
मामला बीकानेर स्थित पीबीएम हॉस्पिटल का है। रिकॉर्ड के मुताबिक समोरखी गुडा गांव के गणेशराम पुत्र परताराम को 03 अगस्त 2024 को पीबीएम कैंसर हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था। इलाज के दौरान 06 अगस्त को उसकी मौत हो गई। डेथ फाइल बनाने लगे तो पता चला कि जो मरा है वह गणेशाराम पुत्र परताराम नहीं है। परिजन उसके नाम से डेथ फाइल बनवाने या डेथ सर्टिफिकेट लेने को तैयार नहीं थे। ऐसे में हॉस्पिटल प्रशासन पूरी तरह असमंजस में पड़ गया।
डॉक्टर ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई:
मृतक की पहचान के बारे में असमंजस की स्थिति देख पीबीएम स्थित आचार्य तुलसी कैंसर रिसर्च सेंटर के डा. सीताराम महरिया ने पुलिस को रिपोर्ट दी है। बीकानेर के सदर थाना में इसका मामला दर्ज हुआ है जिसकी जांच हैड कांस्टेबल साहब राम को सौंपी गई है। हैड कांस्टेबल साहबराम का कहना है, कल रिपोर्ट आई है। मृतक और जिसके नाम से इलाज हुआ है दोनों का रिकॉर्ड तलब कर जांच की जाएगी।
अब तक जो कहानी सामने आई है उससे ऐसा अनुमान हो रहा है कि जिस मरीज का इलाज करवाने आये उसका आधार कार्ड, जनाधार कार्ड, चिरंजीवी कार्ड आदि साथ नहीं होगा या अपडेट नहीं होगा। बताया जा रहा है कि मृतक भी राजस्थान का ही मूल निवासी है। ऐसे में फ्री इलाज में दिक्कत किसी ऐसी ही तकनीकी वजह से आ रही होगी। इसीलिये परिजनों ने साथ वाले किसी अन्य के नाम से एकबारगी मरीज को भर्ती करवा दिया। इलाज भी शुरू हो गया। दिक्कत तब हो गई जब उसकी मौत हो गई।
हालांकि किसी अन्य के नाम से इलाज करवाना कानूनी, नैतिक दोनों ही तरह से गलत है लेकिन ऐसा आमतौर पर लोग इसलिये करवाने को मजबूर होते हैं क्यिोंक राजस्थान में मुफ्त इलाज की व्यवस्था के कई प्रावधान काफी कड़ाई से लागू किये गये हैं। मसलन, चिरंजीवी योजना में प्रीमियम की राशि जमा करवाकर उसे अपडेट नहीं करवाया गया है तो ऐसे रोगियों को भर्ती या इलाज करने में आनाकानी होती है। इतना ही नहीं भर्ती करने पर भारी पैकेज के हिसाब से वसूली होती है। इसीके चलते लोग इलाज करवाने के लिए दूसरे रास्ते तलाशने को मजबूर हो जाते हैं।
हालांकि एसपी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. गुंजन सोनी ने एक परिपत्र जारी कर सभी विभागों को निर्देश दे रखा है कि अगर किसी का चिरंजीवी अपडेट नहीं हैं। जनाधार भी पास में नहीं और वह राजस्थान का मूल निवासी है तो उसके आधारकार्ड या अन्य पहचान के आधार पर एकबारगी इलाज शुरू कर दिया जाए। इलाज के लिये नहीं रोका जाए। इसके बावजूद इस आदेश को मानकर इलाज करने के बाद ऑनलाइन एंट्री में कई दिक्कतें आ रही है। ऐसे में सामान्य सभी डॉक्टर, स्टाफ, विभाग बगैर डॉक्यूमेंट इलाज शुरू करने में आनाकानी करते हैं।
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