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बीकानेर: गाड़ी में की तोड़फोड़, सीसीटीवी फुटेज में कैद हुई घटना, जान से मारने की दी धमकी

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बीकानेर: गाड़ी में की तोड़फोड़, सीसीटीवी फुटेज में कैद हुई घटना, जान से मारने की दी धमकी


बीकानेर के सदर थाना क्षेत्र में रहने वाले अमित कुमार चौहान ने अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है और पुलिस से आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। अमित ने सदर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई है, जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी गाड़ी में बार-बार तोड़फोड़ की जा रही है और उनके परिवार को लगातार धमकियां मिल रही हैं।

अमित कुमार चौहान, जो धावड़ियों का मोहल्ला, पुरानी गिन्नाणी, बीकानेर के निवासी हैं, उन्होंने बताया कि पहले भी 17 फरवरी 2024 को एफआईआर नं. 78/2024 दर्ज कराई थी। इस एफआईआर में प्रमोद गहलोत, लक्की गहलोत, तन्नु गहलोत, विकास खड़गावत और अन्य के खिलाफ उनकी गाड़ी में तोड़फोड़ और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया गया था। यह मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन इसके बावजूद आरोपियों की ओर से उत्पीड़न की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

सीसीटीवी फुटेज में कैद हुई घटना

शिकायत में अमित ने बताया कि 24 अगस्त 2024 की रात लगभग 2:40 बजे, मोनू भाटी और अन्य ने उनकी गाड़ी के शीशे तोड़ दिए। इस घटना की सीसीटीवी फुटेज अमित के मोबाइल में सुरक्षित है, और उन्होंने इस घटना की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम को भी दी थी। उन्होंने कहा, “इन लोगों द्वारा बार-बार इस तरह की घटनाएं करने से हमारा परिवार बहुत डरा हुआ है और हम मानसिक रूप से परेशान हैं।” अमित ने पुलिस से आग्रह किया है कि आरोपी प्रमोद गहलोत, लक्की गहलोत, तन्नु गहलोत, विकास खड़गावत और अन्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि उनके परिवार को सुरक्षा मिल सके और उन्हें न्याय मिल सके।

समाज का गुस्सा: गिरफ्तारी की मांग

इस घटना से स्थानीय समाज में भी गहरा आक्रोश है। माली समाज और चौहान परिवार के सदस्यों ने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करती है, तो वे एसपी कार्यालय के आगे धरना देंगे। समाज के लोगों का कहना है कि लगातार हो रही इन घटनाओं ने पूरे मोहल्ले में डर का माहौल बना दिया है और आरोपियों की गिरफ्तारी के बिना स्थिति में सुधार नहीं होगा।

समाज के लोगों और पीड़ित परिवार का कहना है कि वे पुलिस की कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अगर न्याय नहीं मिलता है, तो वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। इस मामले ने बीकानेर में कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, और सभी की निगाहें पुलिस की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

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