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कश्मीर में जवान की मौत, बीकानेर में तीन दिनों हाईवे जाम, शहीद के दर्जे की मांग

India-1stNews




कश्मीर में जवान की मौत, बीकानेर में तीन दिनों हाईवे जाम, शहीद के दर्जे की मांग

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में बीकानेर के जवान रामस्वरूप कस्वां की मौत के मामले में तीसरे दिन भी जयपुर-बीकानेर नेशनल हाईवे जाम रहा। परिजन उन्हें शहीद का दर्जा दिलाने की मांग पर अड़े हैं। शनिवार को धरने में नागौर सांसद एवं आरएलपी सुप्रीमों हनुमान बेनीवाल भी अपने समर्थकों का काफिला लेकर पहुंचे। उन्होंने कहा- हम दिवंगत जवान को शहीद का दर्जा ही तो मांग रहे हैं। न तो सरकार में दम है न समाज के नेताओं में, अगर मैं सरकार में होता तो 15 मिनट में शहीद का दर्जा दे देता। उन्होंने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि हमारे एक सैन्य जवान की ड्यूटी के दौरान मौत हो गई और कोर्ट ऑफ इन्क्वारी के बिना बीकानेर के जिला सैनिक कल्याण अधिकारी ने इन्क्वारी रिपोर्ट आने से पहले ही उससे सुसाइड करार दे दिया। इससे जवान के परिजनों की आत्मा किस कदर आहत हुई होगी ये कोई नहीं सोच रहा। मेरा तो कहना है कि ऐसे सैनिक कल्याण अधिकारी को तुरंत प्रभाव से हटा देना चाहिए है। 

बेनीवाल ने कहा कि रामस्वरूप कस्वां की मौत के मामले में डिप्रेशन की बात सामने आ रही है। ऐसे अगर लोग डिप्रेशन के शिकार होने लगे, सेना की नौकरियां छोड़ कर आने लगे तो कोई भविष्य नहीं रह जाएगा। ना कोई पेंशन है, ना शहीद का दर्जा है तो फिर कोई क्यों देश के लिए लड़ेगा। हम केवल शहीद का दर्जा मांग रहे हैं। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी चल रही है। अगर बीकानेर का प्रशासन समझदार होता, हमारी कौम के नेताओं का खून पानी नहीं होता तो जवान के परिवार और ग्रामीणों को ऐसे धरने पर नहीं बैठना पड़ता। उन्होने भाजपा नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि यहां बैठे भाजपा के नेता नहीं चाहते कि किसान कौम का भला हो। सेना को ठेके पर दे दिया। उनको कोई चिंता नहीं है। भाजपा सिर्फ धार्मिक भावनाओं से खेलते हैं। कोई सेना में बीमारी या दुर्घटना में मारा जाए तो उसे शहीद मानते हैं। गलती पूर्वक हथियार चल जाए तब भी शहीद माना जाता है। सर्व समाज को उनकी चिंता है। देश के जान सबसे ज्यादा किसानों के बेटों ने दी है। सेना के जवान का परिवार यहां धरने पर बैठा है इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता। सरकार को यहां आना चाहिए है, सरकार में मंत्री भी किसान के बेटे हैं।

न्याय दिलाए बिना नहीं जाऊंगा


धरने में शामिल हुए हनुमान बेनीवाल ने कहा कि मैं यहां पहले ही आ जाता, मेरी माताजी बीमार थी, उनको अस्पताल से छुट्टी दिलवा कर यहां आया हूं। मैं विश्वास दिलाता हूं कि कस्वां परिवार को न्याय दिलाए बिना यहां से नहीं जाऊंगा। जब नोखा के केड़ली के जवान तुलसाराम सियाचिन ग्लेशियर में शहीद हुए तब भी नहीं बताया गया था कि वे शहीद कैसे हुए। इस मामले को भी मैंने संसद में उठाया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी और उन्हें शहीद का दर्जा दिलवाया था।

धरना स्थल पर नेताओं का जमावड़ा, बढ़ती जा रही भीड़, ट्रैफिक जाम

पिछले तीन दिनों से म्यूजियम सर्किल पर चल रहे बेमियादी धरने में नोखा विधायक सुशीला डूडी, पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा, नोखा प्रधान प्रतिनिधी आत्माराम तर्ड, देहात कांग्रेस अध्यक्ष बिशनाराम सियाग समेत अनेक किसान नेता मौजूद हैं। धरना स्थल पर प्रशासन और पुलिस अधिकारी लगातार वार्ता के लिये पहुंच रहे है लेकिन रामस्वरूप कस्वां को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए बनी संघर्ष समिति और प्रशासन के बीच जिन मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन रही है, उसमें सबसे बड़ी मांग शहीद का दर्जा ही है। दरअसल, शहीद का दर्जा देने का अधिकार जिला प्रशासन और राज्य सरकार के पास नहीं है। वहीं शहीद की तरह अंतिम यात्रा व अंतिम संस्कार की डिमांड है। इस पर प्रशासन सहमत है। वहीं जिला सैनिक अधिकारी पर कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। परिजनों की डिमांड है कि आत्महत्या घोषित करने वाले जिला सैनिक अधिकारी को तुरंत हटाया जाए। इधर, हाईवे जाम होने से बीकानेर शहर में जाम की रही। रास्ता जाम होने के कारण पब्लिक पार्क से जयपुर रोड की ओर जाने वाले वाहन अब जिला कलेक्टर आवास के आगे से पंचशति सर्किल से सार्दुलगंज कॉलोनी होते हुए निकल रहे हैं। वहीं जयनारायण व्यास कॉलोनी, पवनपुरी सहित अन्य मार्गों से पब्लिक पार्क की ओर जाने वाले वाहन अब सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से अम्बेडकर सर्किल होते हुए निकल रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में वाहन पीबीएम अस्पताल के अंदर से निकल रहे हैं। जिस मार्ग से मरीजों को ले जाया जा रहा है, उसी मार्ग से सामान्य वाहन भी जा रहे हैं। वाहनों की आवाजाही से मरीजों को परेशानी हो रही है। स्कूल जाने वाले बच्चों को भी लंबी दूरी तय करके निकलना पड़ा।

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