शहीद का दर्जा कब? गार्ड ऑफ ऑनर के लिए तैयार नहीं प्रशासन, एक अक्टूबर को कलेक्ट्रेट घेरने का ऐलान, हाइवे जाम खोला
बीकानेर के पांचू निवासी जवान रामस्वरूप कस्वां को शहीद का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर चार दिन से धरना-प्रदर्शन जारी है। हालांकि रविवार सुबह जयपुर-बीकानेर नेशनल हाईवे-11 खोल दिया गया है। परिजनों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट घेराव की चेतावनी दी है।
इधर, शनिवार रात 12 बजे तक करीब एक हजार लोग धरना स्थल म्यूजियम सर्किल (NH-11) पर जुटे थे। धरने में पहुंचे नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि सारी मांगें सरकार के सामने रख दीं, अब तो लाठी-भाटा हो सकता है। बेनीवाल ने जवान के भाई श्रीराम कस्वां से बात की। रात 12 बजे तक बेनीवाल वहीं रहे।
बीकानेर के जवान रामस्वरूप कस्वां (24) की 25 सितंबर को अनंतनाग में गोली लगने से मौत हुई थी। प्रारंभिक तौर पर सामने आया था कि ऑन ड्यूटी फायरिंग के दौरान जान गई, जिसे बाद में सुसाइड बताया गया। अब परिवार शहीद का दर्जा देने समेत अन्य मांग कर रहा है। शव अब तक मिलिट्री कैंट एरिया (बीकानेर) में स्थित सरकारी अस्पताल में ही रखा हुआ है।
सांसद हनुमान बेनीवाल ने रक्षा मंत्री से बात की
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने 28 सितंबर को दो बार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रदेश सरकार में सैनिक कल्याण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से बातचीत की। डेढ़ घंटे तक प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मीटिंग भी हुई, लेकिन सहमति नहीं बन सकी।
गार्ड ऑफ ऑनर के लिए तैयार नहीं प्रशासन
जिन मांगों को लेकर प्रशासन और रामस्वरूप कस्वां के परिजनों के बीच ठनी हुई है, वह अंतिम संस्कार से पहले सेना की ओर से दिया जाने वाला गार्ड ऑफ ऑनर है। प्रशासन का कहना है कि शहीद का दर्जा मिलने तक गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जा सकता।
परिजन इस बात पर सहमत है कि सेना नहीं कर सकती है तो पुलिस ही ये काम कर दे। जिला प्रशासन के अधिकारी इसके लिए भी तैयार नहीं है। कस्वां के शव को तिरंगे में लपेटकर अंतिम संस्कार स्थल तक ले जाने पर सहमति बनी, लेकिन गार्ड ऑफ ऑनर पर दोनों पक्षों में फिर से ठन गई।
शहीद का दर्जा कब?
आंदोलन से जुड़े नेता भी स्वीकार कर रहे हैं कि कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के बाद ही रामस्वरूप कस्वां को शहीद का दर्जा मिल सकता है। इस मांग पर परिजन और आंदोलनकारी नेता प्रशासन के साथ सहमत थे, लेकिन गार्ड ऑफ ऑनर की बात नहीं मानने के बाद अब एक बार फिर शहीद का दर्जा देने पर ही शव लेने की बात पर अड़ गए।
जिला सैनिक अधिकारी पर कार्रवाई नहीं
आंदोलनकारियों और परिजनों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि जिला सैनिक कल्याण अधिकारी पर प्रशासन की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस मांग पर प्रशासन सहमत है कि जिला सैनिक कल्याण अधिकारी को हटा दिया जाएगा। हालांकि इस संबंध में आदेश अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। आंदोलन से जुड़े नेताओं का कहना है कि ये आदेश ही सार्वजनिक हो जाए तो आधी मांग पूरी हो जाएगी। प्रशासनिक अधिकारी इस पूरे मुद्दे पर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हैं।
संविदा पर नौकरी देने के लिए तैयार प्रशासन
रामस्वरूप कस्वां की पत्नी को संविदा पर नौकरी देने की मांग पर जिला प्रशासन ने सहमति जताई है। सरकारी नौकरी देने की मांग पर सहमति नहीं बनी। आमतौर पर शहीद की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाती है। संविदा नौकरी के लिए भी परिजन तैयार है।
नेशनल हाईवे खोला
बीकानेर-जयपुर नेशनल हाईवे बंद होने के कारण बड़ी संख्या में लोग परेशान रहे। रामस्वरूप कस्वां के भाई श्रीराम कस्वां ने दैनिक भास्कर को बताया-आम जनता की परेशानी को देखते हुए सिर्फ रास्ता खोला गया है। धरना वहीं पर जारी रहेगा। घर के सभी लोग नेशनल हाईवे के पास ही धरने पर बैठे हैं।
म्यूजियम चौराहा पिछले तीन दिन से पूरी तरह बंद था। ऐसे में वाहनों की संख्या अन्य रास्तों पर बढ़ गई थी। अम्बेडकर सर्किल पर दबाव बढ़ा हुआ था।
कलेक्टर-एसपी पांचू गांव पहुंचे
जिला कलेक्टर नमृता वृष्णि और एसपी कावेंद्र सिंह सागर जवान रामस्वरूप कस्वां के गांव पांचू पहुंचे। इस बारे में बातचीत में एसपी सागर ने कहा- परिवार के लोगों से मिलने के लिए यहां पहुंचे हैं। बातचीत कर मुद्दे का हल निकालने की कोशिश करेंगे।
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