बीकानेर। रेजिडेंट डॉक्टरों की स्ट्राइक का असर अब स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने लगा है। राज्य सरकार और एसपी मेडिकल कॉलेज की वादा खिलाफी के विरोध में बेमियादी हड़ताल पर उतरे रेजिडेंट्स डॉक्टर्स की हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रही। इससे पीबीएम की चिकित्सा व्यवस्था पटरी से उतरी हुई नजर आई। मौसमी बीमारियों व डेंगू-मलेरिया के प्रकोप के बीच रोगियों को घंटों इलाज के लिए इंतजार करना पड़ा। सर्वाधिक परेशानी तो मेडिसीन विभाग में हुई, वहां दो बजे तक लाइन में लगे आधे लोगों का भी उपचार नहीं हो पाया। दिनभर की ओपीडी भले ही पांच हजार के पार रही हो. लेकिन इनमें से कई तो भीड़ को देख बिना इलाज के लौट गए।
आउटडोर के साथ ही इमरजेंसी में भी बुरे हाल रहे, वहां भी मरीजों की लबी कतारें रहीं। सेंट्रल लैब में जांच के लिए आने वाले मरीज काफी परेशान हुए। एमआरआई के लिए दो से तीन माह की वेटिंग वाले मरीजों को बैरंग लौटाया गया, सिर्फ भर्ती मरीजों की ही एमआरआई की गई। इमरजेंसी ऑपरेशन को छोड़ 100 से ज्यादा ऑपरेशन टाले गए। भर्ती मरीजों के समस्त वार्ड नर्सिंग स्टॉफ के भरोसे रहे। हालांकि सीनियर डॅक्टरों ने कमान संभाली, लेकिन मरीजों की संख्या ज्यादा होने से काफी परेशानी हुई। जानकारी के अनुसार पौबीएम में सोमवार और मंगलवार को डेढ़ सौ से ज्यादा ऑपरेशन टले जा चुके हैं।
वहीं, आउटडोर में जहां एक रूम में तीन से चार रेजिडेंट डॉक्टर होते थे। आज मात्र एक सीनियर डॉक्टर के भरोसे मरीज हैं। इसी वजह से आउटडोर में मरीजों की लंबी कतार लगी है। मरीजों को डॉक्टर को दिखाने में 2 से ढाई घंटे लग रहे हैं। पौबीएम सीनियर डॉक्टर और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के लिये ओपीडी की व्यवस्था संभाल पाना मुश्किल हो रहा है। इधर, एसपी मेडिकल कॉलेज रेजिडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत यादव कहना है कि मेडिकल कॉलेज से संबंध होस्पीटलों में चारों प्रहर सजगता से ड्यूटी देने के बावजूद रेजिडेंट्स डॉक्टर्स के लिये मूलभूत सुविधाओं के लिये तरस रहे हैं। राउंड द क्लॉक रेजिडेंट यहां काम करते रहते हैं। केवल कुछ समय के लिए हॉस्टल पर जाते हैं तो वहां पर भी सुविधाओं की कमी है। पीने के पानी की परेशानी है। अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे तक काम नहीं कर रहे हैं। फिर भी अस्पताल प्रशासन की नींद नहीं खुल रही। रेजिडेंट ने आमजन को होने वाली परेशानी को लेकर माफी मांगी।
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