-मुकेश पूनिया-
जयपुर। राजस्थान विधानसभा की सात सीटों पर हुए उप चुनावों की हार-जीत के बाद सियासी नेताओं की ओर से छोड़े जा रहे शब्दों के बाणों से माहौल दिलचस्प बना हुआ है। शब्द बाण चलाने वाले नेताओं में भाजपा प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल ने तो सीमाएं ही लांघ दी,उन्होने नाम लिए बिना कहा कि दौसा का एक फर्जी नेता खुद को राजस्थान का सबसे लोकप्रिय नेता कहता है। खींवसर में एक चूहे को पालकर हमने शेर बनाया था। जिसे जनता ने फिर से चूहा बना दिया। देवली-उनियारा में एक लंपट किस्म का निर्दलीय प्रत्याशी कानून से खिलवाड़ करता है,जनता से उसे भी नकार दिया। वहीं खींवसर में मिली जीत के बाद नागौर की वाणी बोलने वाले रिछपाल मिर्धा ने कहा कि हनुमान को ‘विभीषणों’ के दम पर हराया है, उनके विभीषण हमारे साथ थे। उन्होने ठेठ नागौरी अंदाज में कहा कि घमंड तो रावण का ही नहीं चला। राजा रावण का घमंड विभीषण ने चूर करवाया था। इनके भी कई विभीषण थे,जो हमारे साथ मिले हुए थे। इधर,खुलकर बोलने वाले डॉ.किरोड़ीलाल मीणा कहां चुप रहने वाले थे,दौसा सीट से भाई जगमोहन मीणा की हार के बाद उनका का दर्द फूट पड़ा है। किरोड़ीलाल मीणा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लगातार छह पोस्ट करके अपनी ही पार्टी के लोगों पर हरवाने का इशारा करते हुए भीतरघात के आरोप लगाए हैं। किरोड़ी ने बीजेपी के नेताओं पर भी इशारों में गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होने अपने मन पीड़ा जाहिर करते हुए पोस्ट में लिखा, मुझे तो सदा ही अपनों ने ही मारा है। मुझमें बस एक ही कमी है कि मैं चाटुकारिता नहीं करता। इसी प्रवृत्ति के चलते मैंने राजनीतिक जीवन में बहुत नुकसान उठाया है। भाई का कर्ज नहीं चुका पाया। शब्द बाण चलाने में शामिल हुए जयपुर संभाग के मीडिया प्रभारी प्रकाश दाधीच ने प्रदेश कांग्रेस सुप्रीमों गोविंद सिंह डोटासरा पर तंज कसते हुए कहा- जो लोग गमछा लहरा रहे थे आज वह गमछा उनके पसीना पोंछने के काम आएगा। फिलहाल हार-जीत को लेकर शुरू हुआ शब्दबाण चलाने का यह सिलसिल अभी कई दिन चलेगा।
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