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बीकानेर: खिलाड़ियों के लिए भूख हड़ताल पर बैठे औझा, भाटी की बिगड़ी तबियत, पुलिस ने पीबीएम अस्पताल में करवाया भर्ती

India-1stNews




बीकानेर@ राजस्थान के इकलौते आवासीय खेल विद्यालय, सादुल स्पोर्ट्स स्कूल, की दुर्दशा के खिलाफ चल रही भूख हड़ताल के छठे दिन भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व खिलाड़ी दानवीर सिंह भाटी एवं भैरू रतन ओझा की बिगड़ी तबीयत जिसके बाद उन्हें पुलिस बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में इलाज के लिए ले गई और भर्ती करवाया ।

शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते खिलाड़ियों और उनकी आवाज़ को अनसुना किया जा रहा है। क्रीड़ा भारती के नेतृत्व में यह आंदोलन व भूख हड़ताल शिक्षा विभाग को जागरूक करने के लिए छ: दिन पहले शुरू हुआ था।

राजस्थान का एकमात्र आवासीय स्पोर्ट्स स्कूल शिक्षा विभाग की अनदेखी का वर्षों से हो रहा शिकार”

18 नवंबर से शुरू हुए इस आंदोलन ने सादुल स्पोर्ट्स स्कूल की बदहाल स्थिति को उजागर कर दिया है। स्कूल में डाइट मनी पिछले 17 वर्षों से ₹100 पर अटकी हुई है। हॉस्टल में सर्दी मे गर्म पानी गर्मी में कूलर जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं, प्रशिक्षकों के 12 मे से 10 पद खाली हैं, खेल उपकरणों का बजट नाममात्र है, और बच्चों को भोजन चपरासी बना रहे हैं। शौचालय की स्थिति बहुत ज्यादा बुरी है

दानवीर सिंह भाटी ने कहा, “सादुल स्पोर्ट्स स्कूल जैसा ऐतिहासिक संस्थान शिक्षा विभाग की अनदेखी व भ्रष्टाचार के चलते अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। विभाग की इस उदासीनता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”

मुख्य मांगें:
1. डाइट मनी को ₹100 से बढ़ाकर ₹300 करना।
2. प्रशिक्षक के सभी पदों पर NIS डिप्लोमा धारी की नियुक्ति।
3.सभी हॉस्टल में कूलर और गीजर की व्यवस्था।
4. खेल उपकरणों के बजट को ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख करना।
5. डिस्पेंसरी और स्विमिंग पूल की सुविधा बहाल करना।

“राष्ट्रीय खिलाड़ी पूर्ण सिंह ने संभाली कमान”

भूख हड़ताल के छठे दिन दानवीर सिंह भाटी एवं भैरू रतन की तबीयत बिगड़ने पर राष्ट्रीय खिलाड़ी पूर्ण सिंह धरने की कमान संभालते हुए सादुल स्पोर्ट्स स्कूल के सामने भूख हड़ताल पर बैठ गए और कहा कि वह राज्य के नन्हे खिलाड़ियों के लिए किये जा रही इस लड़ाई को कमजोर नहीं पड़ने देंगे।

इसी के साथ शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने भी खिलाड़ियों की मांग का समर्थन करते हुए शिक्षा विभाग की अनदेखी के लिए उन्हें चेतावनी दी है की अगर जल्द ही खिलाड़ियों की इन मांगों को नहीं माना गया तो वह भी बीकानेर आकर इस आंदोलन का हिस्सा बनेंगे।

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