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न्यायालय का फैसला: आरोपी को विदेश जाने का मिला अधिकार, मात्र आपराधिक मामला विचाराधीन होने के नाते विदेश जाने से नहीं रोका जा सकता

India-1stNews




सीकर/ चूरू। न्यायालय अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 3 सीकर के पीठासीन अधिकारी हिमांशु कुमावत ने सुजानगढ़ निवासी आरोपी परीक्षित के विरुद्ध वाहन दुर्घटना के विचाराधीन आपराधिक प्रकरण में आरोपी के खिलाफ मुकदमा विचाराधीन होने के बावजूद भ्रमण और रोजगार हेतु विदेश जाने की अनुमति देने का महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। आरोपी की और से  बीकानेर  के एडवोकेट अनिल सोनी ने पैरवी करते हुए दलील दी कि भले ही आरोपी पर वाहन चलाते हुए दुर्घटना कारित कर मृत्यु करने के आरोप का प्रकरण विचाराधीन चल रहा हो,लेकिन उससे पहले आरोपी भारत का नागरिक है जिसे भारतीय संवैधानिक अधिकारों के तहत आजीविका चलाने और भ्रमण करने का अधिकार है और इसी अधिकार के तहत आरोपी भी विदेश यात्रा करने का अधिकार रखता है लेकिन आरोपी के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 281,106(1) के तहत मुकदमा विचाराधीन होने के कारण वह विदेश यात्रा करने में असमर्थ हैं जिसके लिए न्यायालय की अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है जबकि भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की अधिसूचना 25 अगस्त 1993 के अनुसार किसी ऐसे व्यक्ति जिसके विरुद्ध भारत के किसी भी न्यायालय में आपराधिक प्रकरण लंबित हो उसे उक्त अधिसूचना में उल्लेखित शर्तो के अधीन विदेश यात्रा करने की अनुमति प्रदान की जा सकती है। जिस पर न्यायालय ने एडवोकेट सोनी की बहस पर विचार करने के पश्चात आरोपी परीक्षित का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर विदेश यात्रा करने की अनुमति देते हुए कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए आरोपी को विदेश जाने की अनुमति इस शर्त के साथ दी जाती है कि विदेश जाने पर न्यायालय में विचाराधीन चल रहे मुकदमे के विचारण में रुकावट पैदा नहीं करेगा और आरोपी स्वयं या उसका प्रतिनिधि तारीख पेशी पर हाजिर रहेगा।

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