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बीकानेर: सरकारी स्कूल संचालक को सूचना उपलब्ध नहीं कराना पड़ा महंगा, उपभोक्ता कोर्ट ने 15 हजार का लगाया जुर्माना

India-1stNews




बीकानेर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने अपने फैसले में उपभोक्ता को सूचना उपलब्ध ना करवा पाने को सेवा में कमी मानते हुए चंडीगढ़ की एक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्य पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए 1 माह के भीतर चाही गई सूचना उपलब्ध करवाने का आदेश दिया है।  उक्त आदेश के तहत मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति के 10 हजार और 5 हजार रुपए परिवाद व्यय के रुप में परिवादी को देने के आदेश दिए हैं। यह निर्णय आयोग के अध्यक्ष नरसिंह दास व्यास और सदस्य सुभाषचंद्र बरबड़  ने सुनाया। 

मामले में हरियाणा, हाल पटेल नगर बीकानेर निवासी कमलदीप ने आवेदन कर 8 बिंदुओं के दस्तावेजात की प्रमाणित प्रतिलिपियां चाही, जिसके साथ आवेदन व प्रतिलिपि शुल्क हेतु 10/- रुपये का एक व 50/-रुपये के दो भारतीय पोस्टल ऑर्डर प्रेषित किये, लेकिन अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को वांछित दस्तावेजात की प्रतियां उपलब्ध नहीं करवाई गई और न ही पोस्टल ऑर्डर पुनः लौटाये गये। इस पर प्रार्थी  ने दिनांक 08.03.2024 को अप्रार्थी को संचिका दस्तावेजों के निरीक्षण की मांग के साथ 10/-रुपये के 4 पोस्टल ऑर्डर मय 2/- रुपये कोर्ट फीस का भुगतान अप्रार्थी को किया, लेकिन इसके बावजूद भी अप्रार्थी द्वारा उसे वांछित दस्तावेजात की प्रतियां उपलब्ध नहीं करवाई।  प्रतिलिपि ना मिलने पर परिवादी ने उपभोक्ता के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया।

उपभोक्ता न्यायालय ने विद्यालय को नोटिस जारी किया मगर आयोग में भी प्रधानाचार्य ने कोई जवाब पेश नहीं किया और ना ही सूचना उपलब्ध कराई। जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने दस्तावेज उपलब्ध कराने व पंद्रह हजार रुपए परिवादी को अदा करने के लिए प्रधानाचार्य को 1 माह का समय दिया है। परिवादी की ओर से पैरवी एडवोकेट अनिल सोनी ने की।

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