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वंदे भारत ट्रेन बन गई दुखती रग, पीबीएम में ऑल इज वेल! बाकी सब खैरियत है...

India-1stNews




सीएम साब को संकट मोचक की तलाश!
राजस्थान की सत्ता के कुनबे में एक के बाद एक बढ़ती जा रही पार्टी नेताओं की नाराजगी ने हमारे सीएम साब की टेंशन बढ़ा रखी है। हैरानी की बात तो यह है कि अपनी ही सत्ता के खिलाफ अब तक अंदर ही अंदर सुलग रहे पार्टी के नाराज नेता अब खुलकर आग उगलने लगे है। सत्तायी कुनबें की महारानी पहले से अलग पटरी पर चल रही है,किरोड़ी शुरू से ही मोर्चा संभाले हुए । इनके अलावा पार्टी के कई विधायक और नेता नाराजगी की चादर ओढ़े बैठे है। इनमें कोई सिस्टम के अफसरों से नाराज है,तो कोई मंत्रियों के रवैये से। लेकिन पीड़ा सबकी एक जैसी ही नजर आ रही है। फिलहाल सीएम साब सबकी पीड़ा दूर करने वाले संकट मोचक की तलाश कर रहे है,इसलिये सब खैरियत है। 

वंदे भारत ट्रेन बन गई दुखती रग
बीकानेर से दिल्ली तक वंदे भारत ट्रेन की बड़ी घोषणा हमारे पावरफुल केन्द्रीय मंत्रीजी के लिये अब दुखती रग बन गई है। मंत्री जी ने यह ट्रेन बीती दिवाली पर लांच करने की घोषणा की थी,मगर फिलहाल होली तक इसकी लांचिंग के कोई आसार नजर नहीं आ रहे है। रेलवे वाले भी इस मामले ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे है। इधर,विपक्ष वाले ताने मार रहे है कि सिर्फ वंदे भारत ट्रेन ही नहीं मंत्रीजी की कई घोषणाएं सालों से अटकी हुई है। वैसे पॉजिटिव सोच के हमारे मंत्रीजी विपक्ष वालों की तानेबाजी पर ज्यादा ध्यान नहीं देते,इसलिये फिलहाल सब खैरियत है। 

खूब चमक रहा सियासी आका का नाम
बीकानेर विकास प्राधिकरण बनने के बाद जमीनों की वेल्यू बढऩे से भू-माफियाओं ने अपना धंधा चमकाने के लिये नया सियासी आका तलाश लिया है,आका भी ऐसा जिसकी तूती बीकानेर वाया जयपुर से लेकर दिल्ली तक बोलती है। आका ने सिस्टम मेें भी जबरदस्त फिल्डिंग जमा रखी है,बंदे का हर काम हाईस्पीड़ अंदाज में होता है। इसलिये भू-माफिया जगत में आका की जय जयकार हो रही है,सोशल मीडिया पर भी खूब छाये हुए है। वहीं,राज के कई नेताओं को उनकी चमक अखरने लगी है। मगर फिलहाल सब खैरियत है। 

पीबीएम में ऑल इज वेल!
हमारी पीबीएम होस्पीटल के सुपरिडेंट साब ने अपनी जमी जमाई पारी बीच में ही छोड़ दी। अब इसके कारण तो कई बताये जा रहे  है,लेकिन तमाम कारणों को नजर अंदाज कर सुपरिडेंट साब ने ऑल इज वेल के साथ किनारा कर लिया। इस एपिसोड में हमारे नगर विधायक का नाम खूब उछल रहा है। वहीं पीबीएम के गलियारों में चर्चा है कि,तीर तो किसी ओर ने चलाया और निशाना भी अचूक था,लेकिन निशाने का अवार्ड हमारे नगर विधायक जी के खाते मेें दर्ज हो गया। वैसे निशानेबाज को लेकर संस्पेंश बना हुआ है,इसलिये फिलहाल सब खैरियत है। 

बदल गया कामकाम का सिस्टम
हमारी नगर निगम की प्रशासनिक फौज अब पूरी तरह फ्री-हेण्ड हो गई,ऐसे में कामकाज का सिस्टम में भी खासा बदल गया है। पहले हर काम की डिलिंग में पाषर्दो की हिस्सेदारी होती थी,लेकिन अब ऐजेंट सिस्टम लागू हो गया है। ऐसे में निगम के किसी भी अफसर की टेबल तक फाईल पहुंचाने के लिये पहले ऐजेंट को पकडऩा पड़ता है। जानकार भी कहने लगे है कि जबसे बोर्ड का कार्यकाल खत्म हुआ तब से नगर निगम के कामकाम की परिपाटी भी बदल गई है,राहत की बात यह है कि नये सिस्टम में कामकाम की रेट में कोई बदलाव नहीं है। इसलिये फिलहाल सब खैरियत है। 

बीडीए वालों ने बढ़ा दी कमीशन रेट
बीकानेर विकास प्राधिकरण बनने के बाद जमीनों के धंधे में चार चांद लग गये है,इससे जमीनों के कारोबारी अपने तमाम काम छोडक़र फिलहाल जमीनों की कुण्डलियां संवारने में जुटे है। प्राधिकरण मुख्यालय में सुबह से शाम तक जमीनों के कारोबारी और उनके ऐजेंटों की रेलमपेल नजर आने लगी है। इधर,मौके की नजाकत को भांप कर प्राधिकरण के पालनहारों ने भी कमीशन रेट बढ़ा दी। इस मामले में उनका तर्क भी लाजवाब है,कहते है पहले एक ही ऐजेंट से काम चल जाता था,अब काम बढ़ गया है तो ऐजेंट भी बढ़ाने पड़ गये है,इसलिये रेट बढ़ाना भी लाजमी है। मगर फिलहाल सब खैरियत है। 

संघ के खौफ ने बंद कर रखी बोलती!
भाजपा के संगठन चुनावों में बीकानेर शहर के दावेदार भले ही अधरझूल में अटके हो,लेकिन संघ के आर्शिवाद से देहात भाजपा में श्यामजी बाजी मार ले गये। हालांकि श्यामजी के नाम की घोषणा जोशीलें अंदाज में हुई,मगर जयकारें ज्यादा नहीं गूंजे। अब ताजपोशी को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही है। दरअसल,श्यामजी की ताजापोशी को लेकर गाइडलाइन की अवहेलना और अनुभवी दावेदारों को साइड लाइन करने की बात भी उठ रही है,विरोध भी झलक रहा है लेकिन अनुशासन की डोर से बंधे होने के कारण खुलकर कोई सामने नहीं आ रहा है। वैसे एक बात यह भी सामने आई है कि अनुशासन तो दिखावा है,हकीहत तो यह है कि संघ के खौफ ने सबकी बोलती बंद कर रखी है। इसलिये फिलहाल सब खैरियत है। 


सब खैरियत है.....मुकेश पूनिया
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