शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करने से मिलती है सुख-समृद्धि और खुशहाली
हिंदू धर्म में होली का त्योहार दो दिवसीय होता है. इसकी शुरुआत होलिका दहन से होती है. होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. पुराणों में होलिका दहन और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. माना जाता है कि होलिका दहन के दिन होली की पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. मान्यता है कि मां लक्ष्मी के साथ सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि रंगों का त्योहार होली इस बार 14 मार्च को मनेगा.
इससे एक दिन पहले 13 तारीख को होली जलाई जाएगी. इस बार भद्रा दोष रहेगा इसलिए शाम की बजाय रात में होलिका दहन हो सकेगा. पंचांग के अनुसार होलिका दहन पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के साथ धृति योग बन रहा है. वहीं होली के दिन यानी 14 मार्च को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के साथ-साथ शूल योग का भी निर्माण होगा. ऐसे में पूजा पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती हैं. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि होली के बाद से दीपावली तक तेजी का माहौल बना रहेगा. लेकिन बिजनेस करने वालों के लिए अच्छी स्थितियां बनेंगे और फायदे वाला समय रहेगा. विदेशी निवेश में भी वृद्धि होने के योग हैं. मंदी खत्म होगी. देश में बीमारियों का संक्रमण कम होने लगेगा उद्योग बढ़ेंगे. रियल एस्टेट से जुड़े लोगों को अच्छा समय शुरू होगा. महंगाई पर नियंत्रण बना रहेगा.
माला घोळाई महूर्त
होली पर्व पर भाईयों की लंबी उम्र व सलामती के लिए होने वाली रस्म माला घोळाई इस बार 13 मार्च को सुबह 10:36 तक चतुर्दशी तिथि रहेगी। जिसके चलते दोपहर एक बजे के बाद माला घोळाई श्रेष्ठ है।
शुभ योग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार होलिका दहन पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के साथ धृति योग बन रहा है. वहीं होली के दिन यानी 14 मार्च को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के साथ-साथ शूल योग का भी निर्माण होगा. ऐसे में पूजा पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती हैं.
होलिका दहन पर भद्रा का साया
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 13 मार्च को पूर्णिमा तिथि सुबह 10:36 बजे शुरू होगी, जो अगले दिन दोपहर 12:15 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदयात की मान्यता से पूर्णिमा दूसरे दिन 14 मार्च को है, लेकिन इस दिन पूर्णिमा का मान तीन प्रहर से कम होगा. इसलिए होलिका दहन 13 मार्च को ही करना बेहतर है. शास्त्रीय मत भी है कि पूर्णिमा तिथि का मान तीन प्रहर से कम होने पर पहले दिन का मान निकालकर होलिका दहन करना चाहिए. 13 मार्च को होलिका दहन भद्रा के बाद होगा. भद्रा 13 मार्च को सुबह 10:36 से रात्रि 11:27 बजे तक रहेगी. ऐसे में रात 11:28 से लेकर 12:15 बजे के बीच होलिका दहन करना श्रेष्ठ रहेगा. तर्क ये भी है कि 13 मार्च को प्रदोषकाल में भद्रा होने से होलिका दहन नहीं होगा. होलाष्टक होलिका दहन के बाद खत्म माना जाता है, लेकिन इस बार यह दूसरे दिन 12:24 बजे के बाद खत्म होगा. पूर्णिमा व्रत 14 मार्च को होगा. इसी दिन धुलंडी मनाई जाएगी.
यथा भद्रायां हे न कर्तव्ये श्रावणी (रक्षाबंधन) फाल्गुनी (होलिकादहन) तथा.
श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्राम दहति फाल्गुनी ॥
( मुहर्त्तचिंतामणि )
शुभ मुहूर्त
होलिका दहन तिथि- 13 मार्च 2025
भद्रा समाप्ति के बाद होलिका दहन मुहूर्त
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलिका दहन भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11:28 से मध्य रात्रि 12:15 के मध्य होगा. इस बार होलिका दहन के लिए 47 मिनट का ही समय रहेगा. इसकी वजह उस दिन भद्रा प्रातः 10:36 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11:27 तक भूमि लोक की रहेगी. जो की सर्वथा त्याज्य है.
होली तिथि
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 13 मार्च को सुबह 10:36 बजे शुरू
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 14 मार्च को दोपहर 12:15 बजे
कैसे करें होलिका दहन
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलिका दहन के बाद जल से अर्घ्य दें. शुभ मुहूर्त में होलिका में स्वयं या परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्जवलित कराएं. आग में किसी भी फसल को सेंक लें और अगले दिन इसे सपरिवार ग्रहण करें. मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को रोगों से मुक्ति मिलती है.
होलिका दहन के दिन क्या नहीं करना चाहिए
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलिका दहन के दिन सफेद खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए. होलिका दहन के समय सिर ढंककर ही पूजा करनी चाहिए. नवविवाहित महिलाओं को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए. सास-बहू को एक साथ मिलकर होलिका दहन नहीं देखना चाहिए. इस दिन को भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए.
भविष्यवक्ता और कुंडली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास बता रहे है राशि अनुसार करें होलिका की पूजा.
मेष राशि
मेष राशि के लोग गुड़ की आहुति दें.
वृषभ राशि
वृषभ राशि वाले चीनी की आहुति दें.
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लोग कपूर की आहुति दें.
कर्क राशि
कर्क राशि के लोग लोहबान की आहुति दें.
सिंह राशि
सिंह राशि के लोग गुड़ की आहुति दें.
कन्या राशि
कन्या राशि के लोग कपूर की आहुति दें.
तुला राशि
तुला राशि वाले कपूर की आहुति दें.
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के लोग गुड़ की आहुति दें.
धनु राशि
धनु राशि के लोग जौ और चना की आहुति दें.
मकर राशि
मकर राशि वाले तिल को होलिका दहन में डालें.
कुंभ राशि
कुंभ राशि वाले तिल को होलिका दहन में डालें.
मीन राशि
मीन राशि के लोग जौ और चना की आहुति दें.
शनि-राहु-केतु और नजर दोष से मुक्ति के उपाय
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलिकादहन करने या फिर उसके दर्शन मात्र से भी व्यक्ति को शनि-राहु-केतु के साथ नजर दोष से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि होली की भस्म का टीका लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है. किसी मनोकामना को पूरा करना चाहते हैं तो जलती होली में 3 गोमती चक्र हाथ में लेकर अपनी इच्छा को 21 बार मन में बोलकर तीनों गोमती चक्र को अग्नि में डालकर अग्नि को प्रणाम करके वापस आ जाएं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति घर में भस्म चांदी की डिब्बी में रखता है तो उसकी कई बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं. अपने कार्यों में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए आटे का चौमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर उसमें कुछ दाने काले तिल,एक बताशा, सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालकर उसे होली की अग्नि से जलाएं. अब इस दीपक को घर के पीड़ित व्यक्ति के सिर से उतारकर किसी सुनसान चौराहे पर रखकर बगैर पीछे मुड़े वापस आकर अपने हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश कर लें
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