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बीकानेर: दलितों को मंदिर में दर्शन से रोका! समाज ने किया विरोध, प्रशासन से लगाई गुहार, जानिए पूरा मामला

India-1stNews




बीकानेर@ श्री डूंगरगढ़ थाना क्षेत्र के आडसर गांव से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है. यहां दलित समाज के लोगों को मंदिर में दर्शन करने से रोका गया. इस भेदभावपूर्ण व्यवहार से समाज में भारी आक्रोश है, जिसे लेकर नायक समाज के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन भी किया गया. दलित समाज के लोगों का कहना है कि गांव के कुछ ऊंची जाति के लोग उन्हें मंदिर में घुसने और पूजा करने नहीं दे रहे हैं. कुछ लोग छुआछूत जैसी घिनौनी मानसिकता से बाहर नहीं आ पाए हैं. शुक्रवार को इस मामले के खिलाफ एक प्रतिनिधि मंडल ने ज्ञापन सौंपा है. समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि मंदिर में प्रवेश को लेकर उन्हें बार-बार अपमानित किया जा रहा है. यह सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है.

यह है मामला
गाँव आडसर काली माता का एक प्राचीन मंदिर है तथा प्रत्येक वर्ष के दौरान नवरात्र में सभी जातियों के लोग पूजा अर्चना करने के लिए इस मंदिर में एकत्रित होते हैं। जिसमे पुरोहित समाज व नायक समाज नवरात्र के पहले दिन व आखिरी दिन अपने संघ के साथ ढोल बाजे बजते हुए पूजा इत्यादी के लिए आते हैं। सन् 2021 ने यह काली माता मंदिर समिति रजिस्टर्ड हुई तथा अध्यक्ष व अन्य कार्यकारी पदों पर पुरोहित समाज के व्यक्तियों ने इस संस्था का ताना-बाना संभाल रखा है।

गांव के अनिल जोशी पर आरोप है कि पिछले वर्ष नायक समाज के काली माता के प्रमुख मनीराम नायक को पुलिस थाना श्री डूंगरगढ़ के साथ सांठ-गांठ कर नवरात्र पर जबरन उठा लिया तथा शाम के 5 बजे नायक समाज द्वारा खूब समझाइश करने व जातिगत शांति व सौहार्द का वास्ता देने पर अनिल जोशी द्वारा छोड़ा गया।

इसके चलते नवरात्र के पूरे दिन नायक समाज को मनिराम नायक को छुड़वाने के कार्य मे रखा गया जिसका एक मात्र उद्देश्य नायक समाज के पिछड़ी जाती का होने के कारण इस समाज को माँ काली कि पूजा करने से वंचित रखना था। इस प्रकार नायक समाज के व्यक्ति को जबरन उठा लेने तथा इस धार्मिक कार्यक्रम से वंचित रखने के कारण नायक समाज मे अत्यधिक रोष व असंतोष हुआ तथा दोनों जाती के लोगों में मुठभेड़ होने कि संभावना बढ़ गई थी जिस कारण गाँव के नायक समाज के लोगों पिछले नवरात्र पर जिला प्रशासन से मिलकर पुलिस के देख रेख में दर्शन किये थे। इस बार फिर वही स्थिति बनी हुई है। कोई अप्रिय घटना ना हो इसे लेकर एड. एसपी ने सौरभ तिवाड़ी ने आश्वस्त किया है और पुलिस जाब्ते की व्यवस्था के आदेश भी दिए है।



सबके हैं भगवान 
दलित समाज के लोगों ने एक बड़ा सवाल उठाते हुए कि जब भगवान सबके हैं तो फिर मंदिर में जाने से उन्हें क्यों रोका जा रहा है? संविधान ने सभी नागरिकों को समानता का अधिकार दिया है, लेकिन फिर भी आज के समय में इस तरह की घटनाएं समाज को शर्मसार कर रही हैं. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान में जाति, धर्म, लिंग या वर्ग के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव को पूरी तरह से गैरकानूनी बताया गया है. इसके बावजूद अगर किसी समुदाय को धार्मिक स्थानों में प्रवेश से रोका जाता है, तो यह कानून की धज्जियां उड़ाने जैसा है।

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