बीकानेर@ राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर ने एक नाबालिग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के आरोपों से जुड़े मामले की जांच में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अदालत ने देशनोक थानाधिकारी और संबंधित पुलिसकर्मियों पर न्यायिक जांच शुरू करने की चेतावनी दी है। साथ ही एसपी को रिकार्ड व शपथ पत्र के साथ पेश होने के आदेश दिए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई सात अप्रैल तय की गई है।
ये है मामला
मामला ये है कि 26 सितंबर 2024 को पुलिस थाना देशनोक में आईपीसी की धारा 137 (2) और 87 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया कि उसकी 16 वर्षीय बहन का अपहरण कर लिया गया है। पुलिस ने पीड़िता को अयोध्या से आरोपी के साथ बरामद किया। इसके बाद, पीड़िता के पिता ने पुलिस थाना नोखा में दूसरी प्राथमिकी दर्ज करवाई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनकी बेटी को आरोपी ने अगवा कर अयोध्या ले जाकर दुष्कर्म किया।
अदालत के समक्ष प्रस्तुत रिकॉर्ड के अनुसार, देशनोक पुलिस 07 अक्टूबर 2024 को अयोध्या पहुंची और पीड़िता तथा आरोपी को अपनी कस्टडी में लिया। पुलिस टीम, जिसमें केवल कांस्टेबल स्तर के पुलिसकर्मी शामिल थे, दोनों को ट्रेन के माध्यम से अयोध्या से नोखा लेकर आई। 09 अक्टूबर 2024 को रात 10 बजे पुलिस नोखा पहुंची और वहां एक होटल में 20 घंटे तक ठहरी। इस दौरान, पीड़िता को आरोपी के साथ एक कमरे में बंद करने, शारीरिक उत्पीड़न करने और उसे आरोपी के पक्ष में बयान देने के लिए दबाव डालने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
केसरदेसर जाटान निवासी एक पीड़ित व्यक्ति को न्याय प्राप्ति में लगातार पुलिस प्रशासन की लापरवाही का सामना करना पड़ रहा है। मामला तब सामने आया जब न्यायालय ने 25 नवम्बर 2024 को नोखा पुलिस थाना को आदेश दिया कि अभियुक्त के विरुद्ध प्रसंज्ञान लेकर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करें। पुलिस ने इस आदेश की अवहेलना करते हुए, प्रार्थी की रिपोर्ट दर्ज नहीं की। बल्कि उसे डराने-धमकाने का प्रयास किया गया। पीड़ित के निरंतर प्रयासों के बाद 27 नवम्बर 2024 काे एफआईआर संख्या दर्ज की गई।
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