बीकानेर@ देशनोक पुल पर सड़क दुघर्टना में मारे गए लोगों के आश्रितों को मुआवजा दिलाने के लिये देशनोक संघर्ष समिति की ओर से कलक्टरी पर दिया जा रहा बेमियादी धरना जारी है, बुधवार को आक्रोशित धरनार्थियों केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम का मेघवाल का पुतला दहन कर विरोध जताया। वहीं धरने पर बैठे पूर्व केबिनेट मंत्री गोविन्दराम मेघवाल ने कहा कि हमने राजस्थान में ऐसी असंवेदनशील सरकार आज तक नहीं देखी, जो दुखदायी हादसे में दिवंगतों के पीड़ित परिवारों को आर्थिक मुआवजे के लिये तरसा रही है। उन्होंने कहा कि धिक्कार है ऐसी सरकार और ऐसे प्रशासन पर जो पीड़ित परिवारों की आत्मा दुखा रहे है। प्रदेश की जनता ऐसी सरकार और ऐसे प्रशासन को कभी माफ नहीं करेगी। वहीं केश कला बोर्ड के पूर्व चैयरमेन महेन्द्र गहलोत ने कहा कि हम हजारों लोगों पिछले सप्ताहभर से कलक्टरी पर धरने पर बैठे है, हमारी सिर्फ इतनी सी मांग है कि मृतक आश्रित परिवारों को सम्मानजक आर्थिक मुआवजा मिलना चाहिए लेकिन शासन प्रशासन के अधिकारी सम्मानजक मुआवजा देने के बजाए महज तीन-तीन लाख रूपये देने पर अड़े है। जबकि कांग्रेस राज में दुखदायी हादसा पीड़ित परिवारों को उनकी मांग के अनुसार सम्मानजनक आर्थिक मुआवजा दिया जाता है वो तुरंत। लेकिन विडम्बना है कि भाजपा के कुशासन में हमें पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता के लिये भीषण गर्मी में धरने पर बैठना पड़ रहा है। वहीं प्रदेश कांग्रेस सचिव रामनिवास कुकणा ने कहा कि सरकार गरीब परिवारों के दर्द को नहीं समझ रही। लेकिन हम जल्दी की सरकार को गरीबों का दर्द समझा देगें। बुधवार को धरनास्थल पर दो मिनट का मौन धारण कर पहलगाम आतंकी हमले के दिवंगतों को श्रद्धाजंलि अर्पित की गई।
अनशन पर बैठे दर्जनों लोग
संघर्ष समिति के आव्हान पर बुधवार को दर्जनों लोगों ने धरना स्थल पर अनशन पर बैठे। इनमें कांग्रेस पार्षद पारस मारू, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष आनंद सिंह सोढ़ा, सुमित सेठिया, शांति लाल सेठिया, पार्षद प्रफ्फुल हटीला, एडवोकेट सुनिल भाटी, शंकर सेन, सुनिल डूडी, मोहित सेन, नेमीचंद मेघवाल, राजेन्द्र नोखा, धनराज मारू, धुड़ाराम सिंधू, लिच्छूराम चौधरी अनेक आंदोलनकारी शामिल थे।
45 लाख मुआवजा और संविदा पर नौकरी अड़ी है संघर्ष समिति
जानकारी में रहे कि मंगलवार रात संघर्ष समिति प्रतिनिधियों के साथ वार्ता में प्रशासनिक अफसरों पीड़ित परिवारों को तीन-तीन लाख मुआवजा और संविदा नौकरी की बात रखी, लेकिन संघर्ष समिति ने पीड़ित परिवारों को पैंतालीस लाख मुआवजा और संविदा नौकरी की मांग रखी, जिससे वार्ता विफल हो गई।
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